कोशिका ( Cell) - प्रत्येक सजीव की रचनात्मक और क्रियात्मक इकाई को विज्ञान में कोशिका कहा जाता है


●कोशिका की खोज " राबर्ट हुक " नामक वैज्ञानिक ने सन 1665 में  " कार्क " कि मृत कोशिकाओं से की । 


●रॉबर्ट हुक ने शुरू में इन्हें " सेल्यूली"   नाम दिया और बाद में इन्हें कोशिका (Cell ) कहा गया


●हालांकि रॉबर्ट हुक को कोशिका की खोज करने का श्रेय दिया जाता है लेकिन उन्होंने जो कोशिका देखी थी वह मृत कोशिका थी ।


             
प्राणी कोशिका ( Animal Cell )


●सर्वप्रथम जीवित कोशिका को देखने का श्रेय हालैंड के " एंटोनी वान ल्यूवेनहोक " को जाता है  । 

जिन्होंने 1674 में बैक्टीरिया, प्रोटोजोआ शुक्राणु आदि जीवित कोशिकाओं को देखा और इन्हें एनिमलक्यूल कहा।


●सन 1831 में रॉबर्ट ब्राउन द्वारा केंद्रक की खोज की गई 


●उन्होंने " ट्रैडेस्केन्शिया "  की कोशिकाओं में सघन गोलाकार पिंड को देखा और उसे केंद्रक कहा।


●सन 1781 में एफ. फोन्टाना  ने केंद्रिका (केंद्रिक , Nucleolus) की खोज की 

उन्होंने यह खोज " ईल " की कोशिकाओं से की



● जर्मन वैज्ञानिकों " मेथियास श्लाईडन " (वनस्पति विज्ञानी ) तथा " थियोडोर श्वान " (प्राणी विज्ञानी) ने मिलकर " कोशिका सिद्धांत " का प्रतिपादन किया


● यह जीव विज्ञान में एक क्रांतिकारी शुरुआत थी क्योंकि इस सिद्धांत के बाद दुनिया को कोशिका की बहुत सारी विशेषताओं के बारे में पता चला।


वनस्पति कोशिका ( plant cell )



● सन 1835 में "डूजार्डिन"  नामक वैज्ञानिक ने जीव द्रव्य का "सारकोड (Sarcode )"  नाम से अध्ययन दिया और 1840 में " जे.ई.पुरकिंजे "ने जीव द्रव्य को

 " प्रोटोप्लाज्म " नाम दिया


●सन 1855 में " रुडोल्फ विरचोव"  ने बताया कि नई कोशिकाएं पूर्ववर्ती कोशिकाओं से बनती है । यह भी जीव विज्ञान के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण जानकारी साबित हुई। 


●1870 में " एफ.मिस्चर  " नामक वैज्ञानिक ने केंद्रकीय अम्ल (न्युक्लिक अम्ल ) की खोज की और इसे " न्यूक्लीन "  नाम दिया।  जिन्हें आज हम DNA और RAN के नाम से जानते हैं


● 1880 में " ई. स्ट्रासबर्गर "नामक वैज्ञानिक ने साइटोप्लाज्म ( कोशिका द्रव्य ) तथा न्यूक्लियोप्लाज्म (केंद्रक द्रव्य)  शब्दों का गठन किया।


● माइटोकॉन्ड्रिया  की खोज " अल्टमान"  नामक वैज्ञानिक ने की। लेकिन उन्होंने इसे

 " बायोप्लास्ट " कहा।


● " सी.बेंडा "  ने माइटोकॉन्ड्रिया शब्द का गठन किया । कुछ जगहों पर " सी. बेंडा"  को भी माइटोकॉन्ड्रिया की खोज का श्रेय दिया जाता है।



माईटोकांड्रीया (mitochondria) 



●1898 में " कैमिलो गोल्जी" ने गोल्जीकाय की खोज की


● गुणसूत्र सिद्धांत का प्रतिपादन डब्ल्यू.एस. सट्टन व टी.बोवेरी ने किया


● 1932 में एम. नाल तथा ई.रस्का ने इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी का आविष्कार किया।


●1952 में सी.डी.ड्यूवे ने लाइसोसोम पद का गठन किया और इसकी खोज की


●1953 में "रॉबिंसन तथा ब्राउन " ने सेम पादप की जड़ों में राइबोसोम का सर्वप्रथम अवलोकन किया


●1955 में " जॉर्ज पेलेडे " नामक वैज्ञानिक ने जंतु कोशिका में से राइबोसोम का पृथक्करण किया ।


●इस कारण राइबोसोम की खोज का श्रेय

 " जार्ज पेलेडे"  को ही दिया जाता है 

हालांकि कुछ जगहों पर रॉबिंसन को भी इसका श्रेय दिया जाता है


● राइबोसोम की खोज के लिए " जार्ज पेलेडे"  को 1974 में नोबेल पुरस्कार दिया गया।


●1958 में एफ.एच.सी. क्रिक द्वारा केंद्रीय सिद्धांत (सेंट्रल डोग्मा)  का प्रतिपादन किया गया


● 1962 में जे.डी. वाटसन तथा क्रिक ने DNA अणु का द्वि कुंडलिनी मॉडल प्रस्तुत किया।  जिसके लिए 1962 में उन्हें नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। यह जीव विज्ञान में एक बेहद क्रांतिकारी खोज साबित हुई।


जैस-जैसे बेहतर सूक्ष्मदर्शीयों का आविष्कार होता गया वैसे-वैसे कोशिका के बारे में वैज्ञानिकों की जानकारियां बढ़ती गई ।

साथ ही कोशिकाओं द्वारा होने वाले विभिन्न प्रकार की प्रक्रियाओं को वैज्ञानिक बेहतर तरीके से समझ पाए।